Wednesday, May 27, 2020

आरती श्री हनुमान जी की





आरती श्री हनुमान जी की

आरती कीजै हनुमान लला की।  
दुष्टदलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरीवर काँपै । 
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई । 
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाये ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सी कोट समुद्र-सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे ।
आनि सजीवन प्रान उबारे ।।
पैठि पाताल तोरि जम कारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बायें भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजासंतजन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारे ।
जै जै जै हनुमान उचारे ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई । 
आरती करत अंजना माई ।। 
जो हनुमान (जी) की आरती गावै ।
बसि बैकुंठ परम पद पावै ।।
लंका विध्वंस किए रघुराई ।
तुलसी दास प्रभु कीरति गाई ।।
ईति आरती बजरंग बली की । 
आरती कीजे हनुमान लला की ।।

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